अपरंपरागत हाइड्रोकार्बन | हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच)

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कोल बेड मीथेन (सीबीएम)

कोयले में निहित प्राकृतिक गैस (सीबीएम) है। इसमें मुख्य रूप से गैस शामिल है, वह गैस जिसका उपयोग हम घरों को गर्म करने, बिजली उत्पादन और औद्योगिक ईंधन उत्पन्न करने के लिये करते हैं। सीबीएम को आमतौर पर प्राकृतिक गैस के एक “अपरंपरागत“ रूप में संदर्भित किया जाता है क्यूंकि इसे मुख्य रूप से कोयले को सोखकर संग्रह किया जाता है बजाय चटट्टान में छिद्र किये, जैसा कि अधिकांशतया परंपरागत गैस में किया जाता है। गैस कोयले में बूंद के दबाव की प्रतिक्रिया द्वारा रिलीज़/निर्गमन की जाती है।

कोल बेड मीथेन (सीबीएम), एक अपरंपरागत प्राकृतिक गैस का स्त्रोत अब भारत में ऊर्जा संसाधन बढ़ाने के एक वैकल्पिक स्त्रोत के रूप में माना जाता है। भारत में विश्व का पांचवां सबसे बड़ा प्रमाणित कोयला भंडार है। विश्व में भारत पांचवां सबसे विशाल प्रमाणित कोयला भंडार है और इस प्रकार सीबीएम अन्वेषण और दोहन की यहां महत्वपूर्ण संभावनाएं हैं। देश के 12 राज्यों में अनुमानित  लगभग 92 खरब घन फुट (2600 बीसीएम) सीबीएम संसाधन हैं। देश की सीबीएम संभावनाओं का दोहन करने के लिए, भारत सरकार ने 1997 में एक नीति गठित की थी जिसमें एक प्राकृतिक गैस के नाते सीबीएम का अन्वेषण और दोहन तेल क्षेत्रों (नियमन एवं विकास) अधिनियम 1948 के प्रावधानों (ओआरडी अधिनियम 1948) और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियम, 1959 (पीएंडएनजी नियम 1959) के प्रावधानों के अंर्तगत पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जाएगा।

सीबीएम ब्लॉकों को कोयला मंत्रालय (एमओसी) और सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीटयूट (सीएमपीडीआई), रांची के करीबी पारस्परिक क्रिया के साथ डीजीएच द्वारा तराशा गया था। सीबीएम नीति के तहत, आज तक, सीबीएम बोली के चार दौर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा लागू किये गये थे, जिनके परिणामस्वरूप 33 सीबीएम ब्लॉक (नामांकन पर 2 ब्लॉक और 1 ब्लॉक विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) मार्ग के माध्यम से) आवंटित किये गये थे। जो कुल अन्वेषण योग्य उपलब्ध कोयला ब्लॉक के 26000 वर्ग किलोमीटर में से 16613 वर्ग किलामीटर को कवर करते थे उन्हें शामिल किया गया था। आज की तारीख में, देश में अधिकांश सीबीएम अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियां घरेलू भारतीय कंपनियों द्वारा चलाई जा रही हैं। 33 सीबीएम ब्लॉक के आवंटन पुरस्कृत करने के लिये अनुमानित सीबीएम संसाधान, लगभग 62.4 खरब घन फुट (1767 अरब घन मीटर) हैं, जिसमें से अब तक 9.9 खरब घन फुट (2,80,34 बीसीएम) में गैस पाए जाने के रूप में (जीआईपी) स्थापित किया जा चुका है।

पूर्वी भारत की गोंदवाना तलछटी में प्रचुर मात्रा में कोयले के भंडार और मौजूदा सीबीएम उत्पादन ब्लॉक पाए जाते हैं। सीबीएम विकास के लिये सर्वश्रेष्ठ संभावित क्षेत्र पूर्वी भारत में पाए जाते हैं, जो दामोदर कोल घाटी और सोन घाटी में स्थित हैं। सीबीएम परियोजनाएं रानीगंज कोयला खानों के रानीगंज दक्षिण, रानीगंज पूर्व, रानीगंज उत्तरपूर्वी में मौजूद हैं, प्रभातपुर ब्लॉक झारिया कोयला खानों और पूर्वी और पश्चिमी बोकारो कोयलाखानों में हैं। सोन घाटी में सोनहट उत्तरी और सोहागपुर पूर्वी और पश्चिमी ब्लॉक शामिल हैं। मौजूदा, वाणिज्यिक उत्पादन रानीगंज दक्षिण के सीबीएम ब्लॉक मैसर्स जीइइसीएल द्वारा जुलाई 2007 से संचालित किये जा रहे हैं। 

 

5 सीबीएम ब्लॉक से वर्तमान सीबीएम उत्पादन (मार्च 2015) में लगभग 0.77 एमएमएससीएमडी है जिनमं 4 सीबीएम ब्लॉक से गैस उत्पादन के परीक्षण और 1 सीबीएम ब्लॉक से वाणिज्यिक उत्पादन भी शामिल है। निकट भविष्य में सात ओर सीबीएम ब्लॉक द्वारा वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने की उम्मीद की जा रही हैं। बारहवीं योजना दस्तावेज के रूप में 12वीं योजना के अंत तक 4MMSCMD के आसपास कुल सीबीएम उत्पादन रहने की संभावना है।

 

भारत में सीबीएम संसाधनों का राज्य-वार वितरण

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रूपांतरण कारकः 1 घन मीटर = 35.3147 घन फुट

बीसीएमः अरब घन मीटर; टीसीएफ; खरब घन फुट

डेटा कोयला संसाधन डेटा पर आधारित है तथा डीजीएच और सेवानिवृत्त श्री. एन. डी. मित्रा, उप महानिदेशक (जीएसआई) द्वारा तैयार किया गया है।

उपलब्ध सीबीएम संसाधन

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सीओडी-शेल गैस की 01.04.2015 के अनुसार गतिविधियां और स्थिति

 

खंभात बेसिनः

  • पांच विशिष्ट शेल गैस और तेल स्थान वर्ष 2014-15 में जारी किए गए थे।
  • कुछ ओर अधिक विशिष्ट स्थानों के लिये ब्रोच डिप्रेशन कार्य के प्रस्तावों की प्रस्तुति अंतिम चरण पर हैं।
  • गंधार क्षेत्र में विशेष शेल गैस के कुओं जीएनएसजीए (गंधार एक्सटेंशनII) पर ड्रिलिंग का काम पूरा हो गया है, खंभात शेल खंड की शेल गैस के विशिष्ट लॉग अध्ययन हो गये हैं।
  • दोहरे उद्देश्य के दो कुओं जीजीएएच (गंधार एक्सटेंशनII) और केएलएक्सएफ (कादी एमएल) पर काम पूरा हो चुका है और कोर इक्कठे कर लिये गये हैं।
  • दो स्थानों (जीएनएसजीबी (गंधार एक्सटेंशन-I) और जीएनएसजीसी (गंधार एक्सटेंशन-III) खंभात बेसिन के गंधार क्षेत्र पर ड्रिलिंग चल रही है।
  • जारी किये गये क्षेत्रों पर एलएक्यू और साइट तैयार करने का काम प्रगति पर है।
  • विशेष शेल गैस/तेल के कुओं (आइएमएसजीए) और अन्य दोहरे उद्देश्यों के कुओं (एसकेबीएच, जीजीएएफ और जीजीएएच) के लिए खंभात शेल के प्रयोगशाला का अध्ययन पूरा हो गया है।

 

केजी बेसिनः

  • स्रोत चट्टान लागिंग एवम मूल्यांकन अध्ययन और क्षेत्र तथा प्रयोगशाला जांच के अध्ययन राघवपुरम शेल (एचजी-एचआर) के लिए कुओं के कोर नमूनों एमएसएसी और एसयूडब्लूएए मल्लेश्वरम ब्लॉक में की कोर के नमूने पर काम पूरा कर लिया गया है।
  • दो विशेष शेल गैस/तेल स्थानों पश्चिमी गोदावरी ब्लॉक में डब्लूजीएसजीए और महादेवपट्नम ब्लॉक में एमएएसजीए जारी किये गये और अभी यह भूमि अधिग्रहण के तहत चल रहे हैं।
  • मंडपेटा ब्लॉक के तीसरे विशिष्ट स्थान पर एमडी-एसजी-1 प्रस्तुत करने के लिए प्रस्ताव अंतिम चरण पर है।
  • एक गोदावरी ब्लॉक में परंपरागत कुएं डब्लूपीजीएए की ड्रिलिंग चल रही है, व्यापक कोरिंग और प्रयोगशाला अध्ययन और शेल गैस विशिष्ट लागिंग की योजना बना ली गई है।
  • तीन परंपरागत कुओं की ड्रिलिंग साइटों के लिये पश्चिमी गोदावरी ब्लॉक में एनजीएसएए, कवित्तम में जीएमटीएए अतिरिक्ति एरिया ब्लॉक और दक्षिण पेणुमंडम क्षेत्र में गोदावरी ब्लॉक का काम पूरा हो गया है।

 

कावेरी बेसिनः

  • शेल गैस/तेल मूल्यांकन के लिए दो विशेष स्थानों, केयूएसजीए में कूथलम एमएल और टीकेडीएसजीए में एल-1 पीएमएल जारी कर दिये हैं।
  • एल-II ब्लॉक में एक दोहरे उद्देश्य के कुएं पीडीएबी की ड्रिलिंग पूरी हो गई है। शेल गैस के आकलन के लिए कुएं में दो पारंपरिक कोर काट दिये गये हैं।
  • विशेष लाग सदृश एनजीएस, डीएसआई और इसीएस को अंदीमादाम लक्ष्य गठन में रिकार्ड किया जा चुका है।
  • पीडीएबी कुएं के कोर की प्रयोगशाला के अध्ययन और कटिंग, जैसे तलछट/ सैडिमैंटोलाजिकल, बायोस्ट्रेटिग्राफिक, पैट्रोफिजिकल और स्रोत चट्टान अध्ययन किया जा चुका है।
  • पीडीएबी के दो कुओं के कोर के अतिरिक्त कुओं एएसएइ (2013-14 में ड्रिल किया गया था) के कोर की कटाई का डिर्सोप्शन (समुद्री सतह पर जमे हुए पदार्थ का तेल और गैस में परिवर्तित होने की प्रक्रिया) अध्ययन पूरा कर लिया गया है।

 

असम और असम अराकान बेसिनः

  • कोपिली गठन की शेल गैस/तेल क्षमता के मूल्यांकन के लिए दो परंपरागत शुरूआती दौर के कुओं # नाम्ती ब्लॉक में गेल्की-373 (जीकेबीओ) और लकवा पीएमएल ब्लॉक में लकवा-578 (एलडीजी) में एकत्रित कोर नमूनों के लैब अध्ययन किये जा चुके हैं।

 

भारत में गैस हाइड्रेट अन्वेषण की स्थिति (31.03.2015)

) गैस हाइड्रेट एक पारदर्शी ठोस तत्व है, इसके मूलभूत अंग गैस के अणुओं से बने होते हैं जो पानी के अणुओं के पिंजरे से घिरे रहते हैं। गैस हाइड्रेट के प्रत्येक अणु में मीथेन के 164 एम3 (सीएच4) तक शामिल होते हैं। ऊर्जा संसाधन के रूप में गैस हाइड्रेट पर भारत में प्रारंभिक काम, गेल और एनआईओ द्वारा प्रारम्भ किया गया था। 1995 में एक विशेषज्ञ समिति ने भारत में गैस हाइड्रेट्स की क्षमता का एहसास किया था।

 

बी)भारत में गैस हाइड्रेट की खोजपूर्ण गतिविधियों/अनुसंधान का काम राष्ट्रीय गैस हाइड्रेट कार्यक्रम (एनजीएचपी) के अंतर्गत पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा संचालित किया गया था जिसे हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच), राष्ट्रीय ईएंडपी कंपनियों (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड, गेल इंडिया लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और ऑयल इंडिया लिमिटेड) और राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान (राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान और राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान) की संयुक्त भागीदारी के साथ 1997 में शुरू किया गया था। संचालन समिति की अध्यक्षता पीएंडएनजी के सचिव द्वारा की गई थी जिसमें संयुक्त सचिव (ई) संयोजक के रूप में नेतृत्व का हिस्सा रहे। तकनीकी समिति महानिदेशक, डीजीएच की अध्यक्षता में हुई और सभी राष्ट्रीय तेल कंपनियां (एनओसी) जैसे ओआईएल, ओएनजीसी, गेल, आईओसीएल, और राष्ट्रीय संस्थान जैसे एनजीआरआई, एनआईओ और एनआईओटी ने इसमें भागीदारी की। एनजीएचपी को वर्ष 2000 में पुनर्गठित किया गया था।

 

ग)गैस हाइड्रेट की खोज की चुनौतियों का सामना करने के लिये, जो दुनिया भर में अभी तक शोध के स्तर पर है, एमओपीएनजी/डीजीएच ने विभिन्न एजेंसियों के साथ ज्ञान और वैज्ञानिक डेटा के आदान-प्रदान के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

I यूएसजीएस के साथ समझौता ज्ञापन,

ii.अमेरिका-डीओई के साथ समझौता ज्ञापन (नवीकरण स्थिति पर है),

iiiअमेरिका-एमएमएस के साथ समझौता ज्ञापन (अब इसे अमेरिका-बीओइएम कहा जाता है, जो नवीकरण के दौर में है)

ivजीएफजेड-पॉट्सडैम, जर्मनी के साथ समझौता ज्ञापन

v.आइएफएम-जियोमार, जर्मनी के साथ समझौता ज्ञापन

 

 

वर्तमान स्थिति

क) एनजीएचपी ने 2006 में अभियान-01 शुरू किया था। केजी महानदी और अंडमान घाटियों में गैस हाइड्रेट की महत्वपूर्ण मात्रा की उपस्थिति पाई गई थी।

ख) एनजीएचपी अभियान-02 का लक्ष्य उन क्षेत्रों की पहचान करना था जिनमें आदर्शतम निम्न का पाया जाना थाः

I रेत के प्रभुत्व सहित गैस हाइड्रेट की उपलब्धता

ii.यथोचित ठोस तलछट

iii.गैस हाइड्रेट स्थिरता जोन के नीचे स्पष्ट गैस का पाया जाना

ग) एनजीएचपी अभियान-02 को एनजीएचपी की संचालन समिति ने स्वीकृति दे दी है। एनजीएचपी अभियान-02 में एलडब्लूडी (ड्रिलिंग के समय लॉगिंग करना), केजी और महानदी घाटियों के गहरे पानी की लगभग 20 साइटों (40 कुओं) में कोरिंग और तार की पंक्ति में लागिंग कार्यक्रम शामिल हैं। एनजीएचपी अभियान-02 की लागत ओआईडीबी (50 प्रतिशत), ओएनजीसी (20 प्रतिशत), ओआइएल (10 प्रतिशत), गेल (10 प्रतिशत) और आईओसीएल (10 प्रतिशत) द्वारा साझा की जाएगी।

घ) ड्रिल जहाज चिक्यू ने 4 मार्च 2015 को एनजीएचपी अभियान-02 के अंर्तगत संचालन शुरू कर दिये थे। 31 मार्च 2015 तक ड्रिलिंग के समय लॉगिंग (एलडब्लूडी) का काम 13 कुओं पर पूरा कर लिया गया था। एनजीएचपी अभियान-02, जिसमें कोरिंग चरण शामिल था31 जुलाई 2015 तक पूरा हो जाने की उम्मीद की जा रही है।

ई) अभियान-03 का लक्ष्य कम से कम एक साइट पर भारतीय गहरे पानी के वातावरण में प्रारम्भिक उत्पादन परीक्षण करना है। हालांकि, अभियान-03 का निष्पादन एनजीएचपी अभियान-02 की सफलता पर निर्भर करता है।