गैस हाइड्रेट | हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच)

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गैस हाइड्रेटः:


अ)  गैस हाइड्रेट एक पारदर्शी ठोस पदार्थ है, इसके मूलभूत अंगों में पानी के अणुओं से घिरे गैस के कण सम्मिलित होते हैं। गैस हाइड्रेट के प्रत्येक अणु में मीथेन (सीएच4) के 164 एम3 शामिल हैं। ऊर्जा संसाधन के रूप में गैस हाइड्रेट पर भारत में प्रारंभिक काम, गेल और एनआईओ द्वारा किया गया था। 1995 में एक विशेषज्ञ समिति ने भारत में गैस हाइड्रेट्स की क्षमताओं को महसूस किया था।
ब)  भारत में गैस हाइड्रेट की खोजपूर्ण गतिविधियां/अनुसंधान राष्ट्रीय गैस हाइड्रेट कार्यक्रम के अंतर्गत पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एनजीएचपी) द्वारा कार्यान्वित किये जा रहे है, जिसे हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच), राष्ट्रीय ईएंडपी कंपनियों (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड, गेल इंडिया लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और ऑयल इंडिया लिमिटेड) और राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान (राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान और महासागर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) की भागीदारी के साथ 1997 में शुरू किया गया था। संचालन समिति की अध्यक्षता सचिव, पीएंडएनजी संयोजक के रूप में संयुक्त सचिव (ई) के साथ सचिव के नेतृत्व में की गई है। तकनीकी समिति की अध्यक्षता महानिदेशक, डीजीएच द्वारा की गई और सभी राष्ट्रीय तेल और तेल जैसी कंपनियों (एनओसी) जैसे ओआईएल, ओएनजीसी, गेल, आईओसीएल, और राष्ट्रीय संस्थानों जैसे एनजीआरआई, एनआईओ और एनआईओटी ने इसमें भाग लिया। एनजीएचपी का पुर्नगठन वर्ष 2000 में किया गया था।
स)  गैस हाइड्रेट पर खोज की चुनौतियों का सामना करने के लिये, जो कि दुनिया भर में अभी शोध स्तर पर है, एमओपीएनजी/डीजीएच ने ज्ञान और वैज्ञानिक आंकड़े़ के आदान-प्रदान के लिए विभिन्न एजेंसियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं:
i. यूएसजीएस के साथ समझौता ज्ञापन,
ii. यूएस-डीओई के साथ समझौता ज्ञापन (नवीकरण के अधीन)
iii. यूएस-एमएमएस के साथ समझौता ज्ञापन (अब यूएस-बीओईएम कहा जाता है, नवीकरण के अधीन)
iv. जेओजीएमईसी, जापान के साथ समझौता ज्ञापन
v. जीएफजेड-पीओटीएसडीएएम, जर्मनी के साथ समझौता ज्ञापन
vi. आईएफएम-जीईओएमएआर, जर्मनी के साथ समझौता ज्ञापन

 

वर्तमान स्थिति
क. एनजीएचपी ने 2006 में अभियान-01 पूरा किया। केजी, महानदी और अंडमान बेसिनों में गैस हाइड्रेट की बड़ी मात्रा में उपस्थिति स्थापित की गई।
ख. एनजीएचपी अभियान-02 का लक्ष्य उन स्थलों की पहचान करना था जहां पर आदर्शतमः
i. हाइड्रेट में प्रचुरता से रेत की उपस्थिति पाई गई हो।
ii. यथोचित जमा हुआ  अवशेष/मलबा पाया जाताहै।
iii. गैस हाइड्रेट स्थिरता क्षेत्र के नीचे मुक्त गैस की उपस्थितिहो।
ग. एनजीएचपी अभियान-02 को एनजीएचपीकीसंचालन समिति द्वारा स्वीकृति दे दी गई है। एनजीएचपी अभियान-02 में एलडब्ल्यूडी (वेधन के समय संलेखन), केजी और महानदी बेसिनोंमें लगभग 20 स्थलों (40कूपों) पर कोरिंग और तार लाइन संलेखन के कार्यक्रम सम्मिलित हैं। एनजीएचपी अभियान-02 की लागत ओआईडीबी (50 प्रतिशत), ओएनजीसी (20 प्रतिशत), ओआईएल (10 प्रतिशत), गेल (10 प्रतिशत) और आईओसीएल (10 प्रतिशत) द्वारा साझा की जाएगी।
घ. ड्रिल शिप चिक्यू / (सीएचआईकेवाईयू) ने एनजीएचपी अभियान-02 के अधीन 4 मार्च 2015 को अपने संचालन (आपरेशन)शुरू किये थे। 31 मार्च 2015 तक 13कूपों में वेधनकेदौरानसंलेखन (एलडब्ल्यूडी) का काम पूरा हो चुका था। एनजीएचपी अभियान-02,  कोरिंग चरण सहित,  31 जुलाई 2015 तक पूरा होने की उम्मीद है।
ड. अभियान-03 भारतीय गहरे-पानी के वातावरण में कम से कम एक स्थल पर प्रयोगिक उत्पादन परीक्षण करने पर लक्षित था। हालांकि, अभियान-03 का निष्पादन एनजीएचपी अभियान-02 की सफलता पर निर्भर करता है।