अनिवार्यता प्रमाणपत्र (ई सी) | हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच)

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पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस संशोधन नियम 2006 के अनुसार, भारत में प्रत्येक ईएंडपी ऑपरेटर भारत सरकार को समग्र ईएंडपी मूल्य श्रृंखला से संबंधित सभी आंकड़े तत्व प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। इसमें भूगर्भीय, भूभौतिकीय, पैट्रोफिजीकल, भूरासायन, लॉग, नक्शे, उत्पादन आंकड़े, टेप्स, कोर, कटिंग, अन्य व्याख्या और विश्लेषणात्मक रिपोर्ट आदि सभी शामिल हैं लेकिन इन तक ही सीमित नहीं हैं।
डीजीएच ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के उध्र्वप्रवाहक इएंडपी मामलों की एक केंद्रक एजेंसी होने के नाते नेल्प व्यवस्थाओं के तुरन्त बाद से ही धीरे-धीरे ऑपरेटरों से ईएंडपी आंकड़े प्राप्त करना शुरू कर दिया है। इसके अतिरिक्त डीजीएच की एक प्रमुख भूमिका भारत के इस बहुमूल्य तेल क्षेत्र के आंकड़ों का संचय और प्रसार करना है।
आज यह व्यापक रूप से स्वीकार कर लिया गया है कि ईएंडपी के आंकड़ों का संग्रह अनिवार्य रूप से एक राष्ट्रीय परिसंपत्ति है। आंकड़ों की प्रोसेसिंग, आंकड़ों की व्याख्या आदि के क्षेत्र में बढ़ती तकनीकी प्रगति को ध्यान में रखते हुए यह काफी हद तक सही भी है। यहां तक सदियों पुराने ईएंडपी आंकड़ों का संग्रह नई बुनियादी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए नवीनतम परिणाम दे सकते हैं। इसीलिये राष्ट्रीय ईएंडपी आंकड़ों की सुरक्षा डीजीएच के लिए हाल ही में ध्यान देने का एक प्रमुख क्षेत्र बन गया है।
नीचे डीजीएच के पास उपलब्ध विभिन्न आंकड़ों की श्रेणियोंका संक्षिप्त विवरण दिया गया है।
• सांस्कृतिक आंकड़े़
• भूवैज्ञानिक आंकड़े़
• पैट्रोफिजीकल आंकड़े़
• भूकम्पीय आंकड़े
• कूपोंके आंकड़े़
• उत्पादन आंकड़े़
• आगार आंकड़े़
• विभिन्न असंरचित आंकड़े़ (रिपोर्टें, दस्तावेज आदि)
विशाल भूकम्पीय आंकड़ों का प्रबंधनः
आज डीजीएच ऑपरेटरों से प्राप्त विभिन्न भूकम्पीय आंकड़े संग्रह करने के लिए एक आफलाइन आंकड़ों की लाइब्रेरी का रखरखाव कर रहा है। इनमें 3590, 3490, 3592, 8 मिमी एक्जाबाईट, एलटीओ आदि जैसे विभिन्न मीडिया में प्राप्त दोनों संसाधित और अनिर्मित आंकड़े़ शामिल हैं। उपरोक्तकाट्रिज़जानकारी कोओरेकल आधारित वेब एप्लीकेशन मॉड्यूल पर वर्गीकृत किया गयाहैऔर इसेदेखा जा सकता है।
संरचित आंकड़ा प्रबंधनः
वर्तमान में विभिन्न एप्लीकेशन मॉड्यूल ओरेकल 10जी डेटाबेस के साथ .नेट आधारित वेब आधारित एप्लीकेशन विविध संरचित आंकड़ों को वर्गीकृत, सूचीबद्ध और संकलित करने और सांस्कृतिक, भूवैज्ञानिक, उत्पादन, आगार, कूपस्त्रोत, लॉगिंग मेटा आंकड़े आदि से संबंधित मेटा आंकड़ों के समूह के विकास/परिनियोजितऔर परीक्षण की प्रक्रिया में गुजर रहे हैं।
असंरचित और भौतिक आंकड़ों का प्रबंधनः
डीजीएच के पास वर्तमान में असंरचित और भौतिक आंकड़ों के तत्वों जैसे समाप्ति रिपोर्टों, विभिन्न अध्ययन रिपोर्टों, विश्लेषणात्मक रिपोर्टो आदि के लिये एक स्थापित आंकड़ा कक्ष है। उन्हें वैज्ञानिक रूप से सूचीबद्ध कर कूपों के अनुसार रखा गया है। राष्ट्रीय ईएंडपी आंकड़ों के बढ़ते महत्व को ध्यान में रखते हुए और ईएंडपी आंकड़े भारत की राष्ट्रीय परिसंपत्ति होने के नाते, डीजीएच ने भारत में एक राष्ट्रीय आंकड़ा भंडार की स्थापना हेतु एक महत्वाकांक्षी योजना की परिकल्पना की है। प्रस्तावित एनडीआर मुख्य रूप से राष्ट्रीय ईएंडपी आंकड़ा संपत्ति की रक्षा करेगा। इसके अतिरिक्त यह संबंधित ऑपरेटरों द्वारा आंकड़ों की प्रस्तुतिओें, आंकड़ों को सूचीबद्ध करने और उन्हें देखने की सभी संबंधित प्रक्रियाओं, नीतियों और कार्यपद्धतियों को सरल और कारगर बनाएगा। इसके अतिरिक्त यह उद्योग, सरकारी एजेंसियों, शैक्षनिक समुदाय और आम लोगों सहित ईएंडपी डोमेन के विषय में सभी संबंधित पक्षों के लिए एक आम खिड़की की सुविधा प्रदान करेगा। परियोजना एक अभिनव निर्माण-संचालन-संग्रहण और पट्टे पर देने की अवधारणा पर सोची गई है।
नेशनलडेटाडिपोज़टरी (एनडीआर)
आने वाले कुछ वर्षों में भारत सरकार इएंडपी क्षेत्र में एक महत्वाकांक्षी परियोजना नेशनल नॉलेज हब (एनकेएच) की परिकल्पना पर तैयारी कर रही है जिसका वैकल्पिक नाम राष्ट्रीय ज्ञान केंद्र (एनकेसी) के रूप में कहा गया है। एनकेएच/एनकेसी के निम्न घटक होंगेः
• राष्ट्रीय आंकड़ा भंडार
• राष्ट्रीय प्रोसेसिंग केंद्र
• राष्ट्रीय विजुअलाइजेशन और एप्लीकेशन सेंटर
• राष्ट्रीय प्रशिक्षण केन्द्र
• राष्ट्रीय ईएंडपी नॉलेज पोर्टल
• भूकम्पीय आंकड़े़
• कूपों और लॉग के आंकड़े़
• आकाशीय आंकड़े़
• अन्य जीएंडजी आंकड़े जैसे ड्रिलिंग/खुदाई, जलाशय, उत्पादन, भू-वैज्ञानिक, गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय
• रिपोर्टें और दस्तावेज
राष्ट्रीय आंकड़ा भंडार के उद्देश्य (एनडीआर):
इसका मुख्य उद्देश्य भारत में विश्वसनीय अन्वेषण और उत्पादन के आंकड़ों के लिये राष्ट्रीय आंकड़ा भंडार स्थापित करना है जिसके प्रावधान सहज पहुंच और आनलाइन आंकड़ा भंडार होंगे। विशिष्ट लक्ष्य हैं:
• सत्यापित करना, स्टोर, उच्च गुणवत्ता और विश्वसनीय भूवैज्ञानिक आंकड़ों को दुबारा प्रस्तुत करना;
• आंकड़ों की कुशलता के साथ रिपोर्टिंग की सुविधा प्रदान करना, आंकड़ों का आदान-प्रदान, और मौजूदा कंपनियों के बीच आंकड़ों का लेनदेन/व्यापार करना जिनमें सभी भूवैज्ञानिक एजेंसियां शामिल हैं;
• ईएंडपी की गतिविधियों और रिपोर्टिंग पर निगरानी और नियंत्रण रखने के लिये डीजीएच की क्षमता में सुधार करना;
• उच्च गुणवत्ता और विश्वसनीय आंकडे़ प्रदान करते हुए ईएंडपी की नई गतिविधियों को प्रोत्साहित करना;
• भारत में समग्र भू-वैज्ञानिक गतिविधियों को मजबूत करना;
• भारत में बेहतर वैश्विक ईएंडपी व्यावसायिक वातावरण के लिए खुली रकबा प्रणाली का समर्थन करना;
• डीजीएच को प्रोसेसिंग, व्याख्या और विज्यूलाइजेशन केन्द्रों के लिए गुणवत्ता ईएंडपी आंकड़े़ प्रदान करना
डीजीएचसक्रियरूपसेपहलेघटककेबुनियादडालनेकीतलाश कर रही है, एनडीआर निर्माण-संचालन-आबाद के रूप में एक तैयारशुदा परियोजना के आधार पर। नीचे आंकड़ों की श्रेणियां दी गई हैं जिन्हें एनडीआर के लिये प्रस्तावित किया गया है।नेशनलडाटाडिपोजटरीएनडीआरडीजीएचद्वारास्थापितकियाजातरहापहलाधारकहै।एनडीआरकेलियेनिम्नलिखितडाटाश्रेणियोंकोप्रस्तावितकियागयाहैः-
प्रस्तावित एनडीआर मुख्य रूप से राष्ट्रीय ईएंडपी आंकड़ा परिसंपत्ति की रक्षा करेगा और भारत में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों को बढ़ावा देने में मदद भी करेगा। इसके अतिरिक्त, यह आगे ईएंडपी डोमेन के विषय के सभी संबंधित पक्षों जिनमें हितधारकों, उद्योग, सरकारी एजेंसियां, शिक्षा संस्थाएं और अनुसंधान समुदाय शामिल हैं आंकड़ों की प्रस्तुतियों, आंकड़ों को सूचीबद्ध, आंकड़े़ देखने, आंकड़ों की पुर्नप्राप्ति और आंकड़ा व्यापार के विषय से संबंधित प्रक्रियाओं, नीतियों और कार्यपद्धतियों को सरल और कारगर बनाएगा।
एनडीआर से हमेशा के लियेहाइड्रोकार्बन अन्वेषण और उत्पादन आंकड़े सुरक्षित और दुबारा प्रयोग करने के प्रयोजन से स्टोर और सुरक्षित रखने की अपेक्षा की जाती है। आंकड़ों को आम तौर पर एनडीआर के स्वीकृत मानकों के अनुसार संरक्षित रखा जाएगा, और पात्र उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध कराये जाएंगे।
भारत के लिए एनडीआर के होने से पेट्रोलियम अन्वेषण की संभावनाओं में वृद्धि और गुणवत्ता आंकड़ों की उपलब्धता में सुधार द्वारा बोली-दौर की सुविधा प्राप्त होगी। इस कार्रवाई के साथ, भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास एनडीआर है और वह हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण और उत्पादन के क्षेत्र में प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकता हैं। डीजीएच अब नेल्प से भी आगे कदम अग्रसर करने की परिकल्पना कर रहा है, ओएएलपी के साथ “खुले रकबा दृष्टिकोण“ की दिशा में।
अप्रैल 2015 तक अधतनकीगई वर्तमान गतिविधियांर:
• इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड को एनडीआर परियोजना के लिए परियोजना प्रबंधन सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
• भारत में एनडीआर हेतु टर्नकी आधार पर निर्माण, संग्रहण और संचालन के लिये 1 नवंबर, 2013 को दो बोली प्रणाली के तहत आईसीबी के रूप में निविदा आमंत्रित करने के लिये नोटिस निकाले गये जिनकी समापन तिथि 20 दिसंबर 2013 थी।
• संभावित बोलीदाताओं के साथ 15 नवम्बर 2013 को बोली से पहले बैठक आयोजित की गई।
• 12.10.2012 को निविदा-पूर्व बैठक आयोजित की गई जिसमे मैसर्स स्क्लूम्बर्गर, हैल्लिबर्टन, फूग्रो, जियोलीडर इंडिया, आईबीएम, विप्रो, ओरेकल, सीटीआरएलएस और कुछ अन्य पक्षों ने भाग लिया।
• बोली लगाने के प्रश्नों और तकनीकी परिशिष्टों पर 20 नवंबर, 2013 को स्पष्टीकरण प्रेषित किये गये।
• बोली बंद करने की तारीख 20.12.2014 थी और बोलियों का मूल्यांकन 11.02.2014 तक कर लिया गया था।
• मैसर्स हैल्लिबर्टन को 28.02.2014 तक अनुबंध पुरस्कृत कर दिये गये।
• एनडीआर आंकड़ा केंद्र 6वीं मंजिल, डीजीएच, ओआईडीबी भवन में सभी सुविधाओं से लैस है।
• एनडीआर परियोजना पर वर्तमान प्रारंभिक आंकड़ों की कार्यवाही का चरण चल रहा है।
• मार्च 2016 तक जनता के लिए एनडीआर केंद्र के प्रारंभिक आंकड़ों के खुलने की संभावना है।
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