भारत सरकार द्वारा हाल में किये गये नीतिगत सुधार
अत्यन्त क्षेत्र नीतिः
भारत के लिये ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने में हाइड्रोकार्बन का अन्वेषण और दोहन सारभूत तत्व है। आयात पर निर्भरता कम करने के लिए, उपयुक्त होगा कि हम अपने मौजूदा भंडारों का प्रभावी ढंग से दोहन और स्वदेशी उत्पादन में वृद्धि करें। यह देखा गया है कि कई नामांकित ब्लॉकों में की गई खोजों को मुद्रीकृत नहीं किया जा सका और उन्हें सीमांत क्षेत्रों के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया। भारत सरकार ने ऐसे क्षेत्रों को सीमांत क्षेत्र नीति के माध्यम से पेश करने की घोषणा की है। इस नीति से 85 एमएमटी (ओ़़ओईजी) से भी अधिक भंडार धन अर्जित करने में मदद मिलेगी। इससे उत्पादन को बढ़ावा तथा सरकार और ठेकेदार दोनों को ज्यादा आमदनी प्राप्त होगी।
सीमांत क्षेत्र नीति की विशेषताएं:
भारत के अनुमानित हाइड्रोकार्बन संसाधनों का फिर से मूल्यांकनः
15 तलछटी घाटियों (संयोजन श्रेणी I, II और III घाटियों) के लिए हाइड्रोकार्बन संसाधनों का मूल्यांकन लगभग दो दशक पहले किया गया था और प्री-नेल्प और जीएंडजी नेल्प दौर की गतिविधियों के दौरान एकत्रित भारी डेटा पर विचार करते हुए मौजूदा समय में यह काफी पुरानी हो चुकी है। राष्ट्रीय तेल कंपनियों और अन्य अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों को पुरस्कृत प्री-नेल्प ब्लॉकों, नेल्प ब्लॉकों, नामांकित ब्लॉकों में काम के कार्यक्रम, लागू करने के दौरान, पर्याप्त भू-वैज्ञानिक डेटा इक्कठा किये गये। भारत में हाइड्रोकार्बन संसाधनों का फिर से आकलन करने के लिए, सरकार ने भारतीय तलछटी घाटियों पर अपडेट जानकारी के साथ बहुल संगठन दलों (एमओटी) का गठन किया है। इन कार्यवाही में भारत की सभी 26 तलछटी घाटियों को कवर किया जाएगा। इससे भारतीय तलछटी घाटियों के डेटा एकीकरण और नई व्याख्यात्मक तकनीकों के साथ उनकी बेहतर समझ पैदा होगी। इन घाटियों पर पुनः सर्वेक्षण से अन्वेषण गतिविधियों की भविष्य योजनाएं बनाने में मदद प्राप्त होगी। वर्तमान समय में मुंबई के समुद्रगामी, सतपुरा-दक्षिण रेवा, केरल-कोंकण, कृष्णा-गोदावरी, महानदी, खंभात, राजस्थान और विंध्यान घाटियों में अध्ययन जारी हैं।
पूर्वोत्तर भारत में ईएंडपी की उत्साहजनक गतिविधियां:
भारत में पहली बार तेल 150 साल पहले उत्तर पूर्व में पाया गया था। हालांकि तेल और गैस क्षेत्र में विकास चुनौतियों से भरा रहा और उत्तर-पूर्वी भारत में इसमें कुछ बहुत ज्यादा प्रगति नहीं की जा सकी। तेल और गैस क्षेत्र में धीमे विकास के कारणों की पहचान करने की आवश्यकता महसूस की गई। इस सिलसिले में भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों को प्रोत्साहित करने हेतु नीति तैयार करने के लिए एक विशेष अध्ययन का संचालन करने हेतु एक सलाहकार को नियुक्त किया गया। सलाहकार का अध्ययन वर्ष 2015 के मध्य तक पूरा हो गया था। रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई है और उस पर निश्चित कार्य योजना के साथ व्यावहारिक अमल में लाए जाने के समाधानों पर विचार किया जा रहा है।
बहुल ग्राहक भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षणः
भारतीय तलछटी घाटियों में हाइड्रोकार्बन के लिए भू-वैज्ञानिक डाटा बनाने के लिए नीति के अंर्तगत, गैर विशिष्ट बहुल-ग्राहक भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण/गतिविधियों के माध्यम से लगभग 107,386 एलकेएम किमी 2डी भूकंपीय डेटा निर्माण के लिये सात प्रस्ताव प्राप्त हुए। सभी सात प्रस्तावों को रक्षा मंत्रालय (एमओडी) और गृह मंत्रालय (एमओएएच) से स्वीकृति मिल गई है। डीजीएच ने सभी प्रस्तावों के लिए सहमति पत्र जारी कर दिये हैं।
भूकंपीय द्वारा गैर आंकलित तलछटी क्षेत्रों की कवरेज का सर्वेक्षण:
ओएनजीसी और मैसर्स ओआईएल सरकार की ओर से तलछटी क्षेत्रों के गैर आंकलित क्षेत्रों में भूकंपीय अध्ययन कार्य निष्पादित कर रहे हैं। मौजूदा समय में जमीन की पैमाईश का काम पूरा हो चुका है और भूकंपीय अधिग्रहण की निविदा के मूल्यांकन प्राप्त करने का कार्य प्रगति पर है।
राष्ट्रीय डाटा भंडार (एनडीआर)
देश में सभी उपलब्ध भूवैज्ञानिक डेटा संयुक्त और संचित करने और खुली रकबा लाइसेंसिंग नीति का आधार बनाने के लिये, भारत सरकार ने भारत में तेल और गैस उद्योग के लिए राष्ट्रीय डाटा रिपोजिटरी (एनडीआर) का निर्माण कर पहल कर दी है। एनडीआर की स्थापना और संचालन के लिए मैसर्स हैल्लीबर्टन आफशोर सर्विसेज़ इंक. को 28.02.2014 में अनुबंध पुरस्कृत किये गये थे। एनडीआर परियोजना के कार्यस्थल तैयार करने का काम डीजीएच कार्यालय नोएडा की 5वीं और 6वीं मंजिल पर किया जा रहा है और कार्यस्थल पर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का एकीकरण शुरू हो चुका है। प्रयोक्ता स्वीकार्य परीक्षण (यूएटी) सफलतापूर्वक पूरे हो गये हैं। प्रारम्भिक डेटा प्रविष्टियों का कार्य प्रगति पर है और 26 तलछटी घाटियों के पुनःमूल्यांकन से संबंधित प्राथमिकता वाले डेटा लोड किये जा रहे हैं।
खुली रकबा लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी)
खुली रकबा लाइसेंसिंग नीति के अंर्तगत राष्ट्रीय डाटा भंडार स्थापित करने की उपलब्धि एक मील का पत्थर साबित हुआ है। सरकार शीघ्र ही ओएएलपी व्यवस्था की ओर बढ़ने की योजना बना रही है। ओएएलपी मौजूदा कंपनियों के प्रतिकूल अन्य अपस्ट्रीम कंपनियों को किसी तेल और गैस ब्लॉक में बिना बोली की घोषणा की प्रतीक्षा किये बोली लगाने में सक्षम करती है जैसा कि वर्तमान माडल के तहत है।
एकसमान लाइसेंसिंग नीति (यूएलपी)
तेल क्षेत्र विनियमन और विकास (पीएनजी) अधिनियम, 1948 के अंर्तगत कवर सभी हाइड्रोकार्बन संसाधनों के अन्वेषण और दोहन के लिये ईएंडपी ऑपरेटरों को सक्षम करने, और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस (पीएनजी) नियम, 1959 के तहत भारत सरकार खुली लाइसेंसिंग नीति (यूएलपी) पर विचार कर रही है। यह पीइएल/पीएमएल के अंर्तगत पुरस्कृत ब्लॉक में, एक साथ पारंपरिक और अपारंपरिक हाइड्रोकार्बन संसाधनों के अन्वेषण और दोहन की सुविधा प्रदान करेगी।