एफडीपी और डीओसी निगरानी | हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच)

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वेबसाइट डेटाः डीओसी और एफडीपी समूह (ड्राफ्ट) परिचय:

पीएससी के 10 अनुच्छेद (उत्पादन भागीदारी अनुबंध) के रूप में जब एक खोज की जाती है, तब ऑपरेटर द्वारा जनता को खोज के विकास के विभिन्न चरणों के बारे में घोषणा की जाएगी।

एक ’खोज’ का मतलब पेट्रोलियम संचालनों के दौरान किया जाने वाला अनुसंधान है, जिसके अंर्तगत पेट्रोलियम-युक्त जलाशय की वास्तविक उपस्थिति देखी जाती है, जिन्हें सतह पर प्रवाह मापनेयोग्य पेट्रोलियम उद्योग परीक्षण तरीकों से प्राप्त किया जाता/पाया जाता है।

खोज के प्रगति के विभिन्न चरणों को नीचे दिया गया है

1.        प्रारूप-एः ठेकेदार द्वारा यह प्रबंधन समिति को उस समय प्रस्तुत किया जाता है जब किसी ब्लॉक पर कोई नई खोज की जाती है और जहां संभावित वाणिज्यिक खोज के हित (पीसीआई) अभी भी स्थापित किये जाने बाकी हैं।

2.        प्रारूप-बीः यह प्रारूप ठेकेदार द्वारा प्रबंधन समिति को खोज के विस्तृत परीक्षण करने के बाद प्रस्तुत किया जाता है और, यदि खोज का संभावित वाणिज्यिक हित (पीसीआई) और योग्यता के आधार पर मूल्यांकन पाया गया है।

3.        प्रारूप-सीः इस प्रारूप को ठेकेदार द्वारा प्रबंधन समिति/सरकार को मूल्यांकन पूरा करने के बाद प्रस्तुत किया जाता है और खोज को वाणिज्यिक रूप में इस प्रकार से घोषित किया जाता है जो तेल और गैस की खोज की प्रगति के लिये आवश्यक है।

4.        प्रारूप-डीः इस प्रारूप को ठेकेदार सरकार/प्रबंधन समिति की विकास योजना की स्वीकृति प्राप्त हो जाने के बाद प्रबंधन समिति/सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।

 

वाणिज्यत्व घोषणा (डीओसी)

एक बार खोज कर लेने के बाद, ऑपरेटर, आगे घोषणा करने के लिये परीक्षण करता है जिसमें क्या वास्तव में खोज के संभावित वाणिज्यिक हित (पीसीआई) और योग्यता के आधार पर मूल्यांकन किया गया है। मूल्यांकन के बाद ऑपरेटर को प्रबंधन के समक्ष समीक्षा के लिए डीओसी प्रस्तुत करना आवश्यक है।

 

फील्ड डेवलपमेंट प्लान (एफडीपी)

ऑपरेटर समीक्षा की गई डीओसी की क्षेत्र विकास योजना खोज/खोजों को प्रबंधन समिति (एमसी) के समक्ष अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करेगा। एफडीपी प्रस्तुत करने के लिए समय सीमा इस प्रकार हैं।

क)     तेल की खोज - डीओसी समीक्षा के 200 दिनों के भीतर

ख)     गैस खोज - डीओसी समीक्षा के 365 दिनों के भीतर

 

डीओसी और एफडीपी समूह के प्रमुख कार्य

  • वाणिज्यत्व की घोषणा (डीओसी) और क्षेत्र विकास योजना (एफडीपी) का समय पर मूल्यांकन करने के लिए डीजीएच में विभिन्न तकनीकी समूहों के साथ समन्वय करना।
  • डीजी को अंतिम सिफारिश के अनुमोदन के लिए डीओसी/एफडीपी के अनुमोदन पेपर तैयार करना।
  • खोजों और उनके विकास की स्थिति का रखरखाव और अपडेट करना।

 

संक्षेप में पीएससी व्यवस्था के तहत खोजें

भारत सरकार द्वारा 1999 में नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (नेल्प) के आगमन के साथ, ईएंडपी गतिविधियों को आगे चलकर खुली बोली प्रणाली के आधार पर विभिन्न राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय ईएंडपी कंपनियों को नए क्षेत्र तेजी से पुरस्कृत किये गये। इससे न केवल अन्वेषण गतिविधियों में बहुप्रतीक्षित नई प्रौद्योगिकियों के प्रवेश में मदद प्राप्त हुई बल्कि देश में अनन्वेषित क्षेत्रों की खोज से नई खोजों की संख्या में भारी उछाल आ गया।

अब तक, पीएससी व्यवस्था के अंर्तगत कुल 63 ब्लॉकों में कुल 225 हाइड्रोकार्बन खोजें (116 तेल और 109 गैस) की जा चुकी हैं। इन 64 (40 तेल + 24 गैस) खोजों में पहले से ही उत्पादन/उत्पादन की तैयारियां की जा चुकी हैं।

पीएससी व्यवस्था के अंर्तगत की गई खोजों का ब्यौरा (जनवरी 2016 तक) निम्न रूप में प्रदर्शित किया गया है